Monday 24 April 2017

तू सब कर सकता है
अगर तू अभी ठान ले ।
दुनिया तेरे साथ है
बस अपने मन में जान ले
अकेला नही रहेगा कभी
मन को काबू करना जान ले
छू सकता है आसमा को तू
पहले जमीं पर पैर रखना सीख ले
चढ़ जायेगा तू एक दिन शिखर में
पहले अदब की सीढ़ी चढ़ना सीख ले
झुक जायेगी दुनिया तेरे सामने
पहले खुद भी झुकना सीख ले
पा लेगा तू सबको एक दिन
पहले कुछ खोना भी सीख ले
झुक जाएंगी सभी नज़रे तेरे सामने
पहले नज़रे उठाना सीख ले

अवधेश सोनकर

Thursday 30 March 2017

एहसास

वो हमसे दूरियां बनाते रहें
हम उनके करीब जाते रहे ।
वो हमसे बेरुखी करते रहें
और हम सादगी दिखाते रहें ।।
वो हम पर सितम करते रहें
हम उनसे मोहब्बत करते रहें ।
वो हमसे नफरत करते रहें
हम उनकी इबादत करते रहें ।।
हम उनसे हमेशा झुकते रहें
और वो हमको नादाँ समझते रहें।
हम उनकी यादों में बरसते रहें
वो गैरों के साथ मुस्कुराते रहें ।।

                    अवधेश सोनकर

Monday 6 March 2017

हमसफर

अंधेरा है जिंदगी मे
एक रौशनी भरी नजर चाहिए l
तनहा कटता नहीं सफ़र
एक हमसफ़र चाहिए l
ना बसर है कोई न रहगुजर
न कोई आशियाना l
मिल सके मंजिल जिसमे
अब वो डगर चाहिए ll   
              
                 अवधेश सोनकर

Thursday 2 March 2017

प्यार मेरा कर मेरे हवाले

प्यार मेरा कर मेरे हवाले
उसके बिन दिल मेरा कौन संभाले ।
या तो मुझे मेरे रब से मिला दे
या फिर मुझे अपने पास बुला ले ।।
शिकवा नही कोई तुझसे
गिला नहीं कोई तुझसे ।
बसा है जब तू रग रग में मेरे
तो फिर क्यों मिला नही मैं मुझसे ।।
दूर है अब मुझसे अपने सारे
जैसे दो नदी के किनारे ।
डूबने ही वाली है कश्ती मेरी मझधार में
काश देता कोई डूबते को तिनके के सहारे ।।

अवधेश सोनकर

चल रे मन कहीं दूर चले

चल रे मन कहीं दूर चले
जहां सिर्फ प्यार का संसार हो
ना सरहद का वार हो
ना मज़हब की दीवार हो ।
ना बिजली का करन्ट हो
ना काँटों का तार हो ।।
चल रे मन ..................
ना सियासी दांव हो
ना दुखो की बरसात हो ।
माँ का आँचल हो
बाप का प्यार हो ।।
चल रे मन ................
ना हिन्दू हो ना मुसलमान हो
जहाँ हर तरफ बस इंसान हो ।
आदमी से आदमी को प्यार हो
हर तरफ खुशियों के त्यौहार हो ।।
चल रे मन ...................
ना कोई ऊँच हो ना कोई नीच हो
ना कोई पंडित हो ना कोई अछूत हो ।
ना कोई स्वेत हो ना कोई श्याम हो
ना बात ,बात पे तकरार हो ।।
चल रे मन.............
बस चूल्हे की रोटी हो
और आम का आचार हो ।
दादी माँ की दुलार हो
और बूढ़ों की फटकार हो ।।
चल रे मन कहीं दूर चले
जहाँ सिर्फ प्यार का संसार हो

अवधेश सोनकर

Monday 27 February 2017

चाहत

तुमसे इश्क करना चाहता हूँ
तुम्हारी बाँहों में दिन गुजारना चाहता हूँ ।
गर हो यकी मेरी वफ़ा का
तो मैं तुम्हारे हिस्से से कुछ हसीं पल चुराना चाहता हूँ ।।
     
      अवधेश

Thursday 23 February 2017

इश्क

मैंने कर लिया फैसला न किसी से इश्क करूँगा
बस फर्ज अदा करूँगा न कभी वफा करूँगा

                    अवधेश सोनकर

Tuesday 21 February 2017

तुझसे कितनी मुहब्बत है

तुझसे कितनी मुहब्बत है कभी  कह न सकूँगा
तेरे दिए हुए जख्मो को दिल में बसा लूँगा ।
तू मेरी मेरी अमानत है  कही भी जाये
तेरे लिए अपनी हर खुसी लूटा दूँगा ।।
        
        अवधेश सोनकर

Monday 20 February 2017

तेरे होंठो पर

तेरे होंठो पर मेरा नाम आये ना आये
तेरी सांसों में मेरा जिक्र आये ना आये l
मुझे रहेगा इंतजार तेरा सदियों तक
जमीं पर चाँद आये ना आये ll
                      
                       अवधेश

Sunday 19 February 2017

उसने मुझे डुबो दिया l

इतनी खूबसूरती से उसने मुझे डुबो दिया l
पतवार चलाना आया न उसको 
और कस्ती को दोस दिया ll

अवधेश सोनकर 

तलाश में दर बदर

फिरते रहे हम जिसकी तलाश में दर बदर
ना था मालूम की वो बैठा है मेरे अंदर l
छले गए दुनिया से हम इस कदर
बरसो पत्थर को पूजते रहे भगवान् समझकर ll
अवधेश

ऐतबार करे भी तो क्या करें

लोगों का ऐतबार करे भी तो क्या करें 
जब अपनी आँख का आंसू भी अपना ना रहा । 

अवधेश

हवा का एक झोंका था

हवा का एक झोंका था 
शायद तेरा प्यार ।
जो लम्हा बनकर आया
और एक पल में गुजर गया ।।
प्यार नही था दिल में

या ऐतबार न था मुझपर ।
ऐसी क्या खता हो गयी मुझसे
जो तू खुद से मुकर गया ।।
सोचता हूँ सुनाऊ किस्सा तुम्हें
हाल -ऐ - दिल का अपने ।
पर मैं तेरी बेरुखी से डर गया ।।
कह ना सका मैं तुझसे
दास्तान - ऐ -मुहब्बत अपनी ।
दर्द था जो सीने में
वो कतरा बनकर आँखों में भर गया ।। 


अवधेश सोनकर 

Wednesday 2 April 2014

शाम.- ए- गम  तुझसे जो डर जाते है
सब गुजर जाये तो घर जाते है  .

 यूँ नुमाया  है   तेरे कूचे मे
हम भी झुकाए हुए सर जाते है

याद करते नहीं जिस दिन तुझे हम
अपनी नजरो से उतर जाते है

वक्त रुक्सत उन्हें रुक्सत करने
हम भी ताहते नजर जाते है

                        ताहिर फरात
लगता तो बेखबर सा हूँ   पर खबर में हूँ
तेरी नजर में हूँ तो  मै सबकी नजर में हूँ


                                        वसीम

पहली पोस्ट

आदाब दोस्तों
आज मै ब्लॉग की दुनिया मे प्रवेश कर रहा हूँ आप सभी दोस्तों का सहयोग
चाहता हूँ यहाँ पर आपको कई शायरों के बेहतरीन शेर और गजलो का लुत्फ
उठाने का मौका मिलेगा साथ मे मेरी भी कुछ पंक्तियों का.


                                                                                                 

                                                                                                          शुक्रिया दोस्तों